Swami Vivekananda Jivni Link
Swami Vivekananda Jivni Link: स्वामी विवेकानंद का नाम आते ही एक बात जरूर दिमाग में आती है। यही वह बात है जिसे स्वामी विवेकानंद एक बार पढ़ा करते थे। वह उसे कभी नहीं भूलते थे। इस बात की चर्चा कभी न कभी सभी की पढ़ाई के दौरान होती है। तो क्या ये सच में सच है? क्या ऐसा हो सकता है कि कोई कितनी भी मोटी या बड़ी किताब पढ़ ले और उसकी एक-एक लाइन को एक साथ याद किया जा सके? ऐसा सोचना भी कठिन है।
लेकिन स्वामी विवेकानंद की जीवनी पर आर्टिकल्स को पढ़ने से इसकी वास्तविकता सामने आती है। अब मैं आपको एक घटना सुनाता हूँ। स्वामी विवेकानंद अपने शिष्यों ( Student ) के साथ मेरठ में थे। उसी समय स्वामी अखंडानंद भी वहां आ गए। पास में एक पुस्तकालय ( लाइब्रेरी ) था। स्वामी विवेकानंद ने उस पुस्तकालय से एक किताब लाने को कहा था। इसके बाद अखंडानंद ने बैंकर, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ 'सर जॉन लुबॉक' की किताब ली, जिसके कई पार्ट ( भाग ) थे।
यह किताब ऐसी थी कि लोग इसे पढ़ने में आमतौर पर दो से तीन दिन या उससे ज्यादा का समय लेते थे। लेकिन स्वामी विवेकानंद ने एक दिन में उस किताब को पढ़कर पुस्तकालय ( लाइब्रेरी ) को लौटा दिया और दूसरा भाग लाने को कहा। फिर अखण्डानंद पुस्तकालय से दूसरा भाग लेकर आए। एक दिन पहले ही पढ़कर तीसरे पार्ट को लाने को कहा।
लाइब्रेरीयान को आश्चर्य हुआ जब वह इतनी जल्दी कई भागों को पढ़कर लौटा। उस लाइब्रेरियन ने दावा किया कि स्वामी विवेकानंद बिना पढ़े किताबें लौटा देते है। क्योंकि आज तक कोई भी एक भाग को इतने दिनों में पूरा नहीं कर पाया है, जितना उन्होंने कई भागों को इससे भी कम समय में पढ़ लिया है। लाइब्रेरीयान के प्रश्न सुनकर अखण्डानंद लौट आए और उन्होंने स्वामी विवेकानंद को यह जानकारी दी।
इसके बाद स्वामी विवेकानंद स्वयं पुस्तकालय पहुंचे। उन्होंने लाइब्रेरियन से कहा कि उनके द्वारा लौटाई गई किताबों से वह कहीं से भी और किसी भी पेज से कोई भी प्रश्न पूछ सकता है। इस पर लाइब्रेरियन थोड़ा हंसे। फिर उसने किताबें उठाईं और कोई भी पन्ना निकाला और सवाल पूछने लगा।
उन्होंने कुछ ही समय में दर्जनों पृष्ठों से प्रश्न पूछे और स्वामी विवेकानंद ने उन्हें एक-एक शब्द के साथ पूरी लाइन सुनाई। यह देख लाइब्रेरियन (पुस्तकालयाध्यक्ष) सन्न रह गया, और हार मान कर उसे अपनी गलती का पछतावा होने लगा। इस तरह स्वामी विवेकानंद ने अपने आध्यात्मिक ज्ञान व समझ से न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में ज्ञान और दर्शन का झंडा बुलंद किया।
शिकागो धर्म सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जब उन्हें बोलने का अवसर मिला तो उन्होंने अपने भाषण को इस तरह संबोधित किया कि सभा में उपस्थित सभी लोग उन्हें सुनने के लिए उत्सुक थे।
Swami Vivekanand Jeevan Parichay
स्वामी विवेकानंद की जीवनी (Swami Vivekananda Biography Hindi 2023), स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 फरवरी, 1863 को कलकत्ता महानगर में हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था। और Swami Vivekanand Mother's Name ( माता का नाम ) भुवनेश्वरी देवी था। हमारे देश में समय-समय पर परिस्थितियों के अनुसार संत महापुरुषों ने जन्म लिया और अपने देश की दुखद परिस्थितियों का विनाश किया और पूरी दुनिया को एक सुखद संदेश दिया।
इससे हमारे देश की भूमि गौरवान्वित और गौरवान्वित हुई है। इसके कारण इसे पूरे विश्व में सम्मानजनक स्थान मिला। देश को प्रतिष्ठा के शिखर तक ले जाने वाले महापुरुषों में स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda Biography Hindi 2023) का नाम संपूर्ण मानव जाति के दूतों में से एक है।
स्वामी विवेकानंद बचपन ( Swami Vivekanand Childhood )
स्वामी विवेकानंद जी आर्थिक रूप से संपन्न परिवार थे, एवं उनके पिता पच्छिमी संस्कृति ( मॉडर्न युग ) में विश्वास करते थे। इसलिए वे उन्हें अंग्रेजी भाषा और शिक्षा का ज्ञान दिलाना चाहते थे। उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा में कभी रुचि नहीं ली। बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के बावजूद उनका शैक्षणिक प्रदर्शन औसत था, उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रवेश स्तर पर 40 प्रतिशत अंक, एफए में 40 प्रतिशत और बीए में 56 प्रतिशत अंक प्राप्त किए।
माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थीं। वह नरेंद्र नाथ (स्वामीजी के बचपन का नाम) के बचपन के दौरान रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाया करती थीं। जिसके बाद वह अध्यात्म के क्षेत्र में आगे बढ़ते गए। कहानियाँ सुनते-सुनते उनका हृदय हर्ष से भर जाता था। रामायण सुनते-सुनते बालक नरेंद्र का सरल शिशु हृदय भक्ति रस से भर जाता था। वह अक्सर अपने ही घर में ही ध्यान मग्न हो जाया करते थे, जब उनके घर वाले उनको पकड़कर जोर जोर से हिलाया करते थे तब कही जाकर उनका ध्यान कहीं टूटता था।
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